Saturday 12 May 2012

सोचता हूँ अब तो बस...


सोचता हूँ अब तो बस, उसके लिए ही सोचता हूँ,
खोजता हूँ अब तो बस, उसका अक्स ही खोजता हूँ,

वो जो मुझे जाने,
मेरी आत्मा को पहचाने,

मेरा अहसास पहचानता हो,
मेरा हर श्वास वो जानता हो,

जो मेरे भाव के हर घाव को जाने,
जो मेरी शर्म का मर्म पहचाने,

मेरी आसों में महके वो,
मेरी साँसों में बहके वो,

मेरी हँसी को अपना जाने वो,
मेरे आँसू भी अपने माने वो,

मेरी आवाज़ में मेरे संग जुड़े,
मेरी परवाज़ में मेरे संग उड़े,

जो मुझमें बसे मेरी जान बने,
मुझसे जुड़े मेरी आन बने,

सोचता हूँ अब तो बस, उसके लिए ही सोचता हूँ,
खोजता हूँ अब तो बस, उसका अक्स ही खोजता हूँ,

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