Tuesday 13 October 2009

कुछ सपने टूट गए हैं.....

रोता नहीं हूँ आजकल मैं, मेरी आँखों के आँसू सूख गये हैं,
बस कुछ ही सपने बचे हैं, और कुछ टूट गये हैं.

अब किसके साथ खुशियाँ बाँटे, किसके साथ गम,
कुछ ही साथी साथ बचे हैं, और कुछ छूट गये हैं.

मैं आजकल फिर से थोड़ा "संजीदा" रहता हूँ, कुछ गम के लम्हे साथ हैं,
कुछ खुशी के लम्हे दोस्त हैं, और कुछ रूठ गये हैं.

कुछ अपनों ने मेरे, कुछ ऐसा साथ दिया है मेरा,
कुछेक को याद हूँ मैं, और कुछ भूल गये हैं.

ज़्यादा भी बयान करना कुछ अजीब लगता है, किए बिना रहा भी नहीं जाता,
इतने ही ज़ज्बात लिख पाया हूँ, और कुछ छूट गये हैं......