Thursday 28 April 2011

रिश्ते........

रिश्तों को जरुरत होती है 'गर्माहट' की,
थोड़ी सी 'शांति', ना कि 'आहट' की,
थोड़ी सी 'सादगी', ना कि 'बनावट' की,
साथ चलने की, ना कि 'लंगड़ाहट' की,
कुछ 'बातों' की, ना कि 'हकलाहट' की,

रिश्ते 'एकबार' बनते हैं, 'बारबार' नहीं,
उन्हें सिर्फ 'हाथ' चाहिए, 'आघात' नहीं,
उन्हें सिर्फ 'प्यार' चाहिए, 'व्यापार' नहीं,
यह मज़ाक सह सकते हैं, 'तकरार' नहीं,

कितना भी संभलो या संभालो, ये अक्सर टूट जाते हैं,
क्यूँ हम अपने ही वादों को अक्सर भूल जाते हैं,
क्यूँकर बीच में कई बार फ़ासले जाते हैं,
क्यूँ हम चाहकर भी उन्हें मिटा नहीं पाते हैं,

शायद इनकी भी हमारी तरह तकदीर होती हो,
हमसे छीन लिए जाते हैं, शायद यह भी किसी की जागीर होती हों,
शायद.......

2 comments:

Unknown said...

NICELY WRITTEN SANJEET SIR.....KEEP IT UP....:)

Unknown said...

NICELT WRITTEN SANJEET SIR...REALLY TRUE ABOUT RELATIONSHIPS...